जब से अयोध्या में श्री राम मन्दिर की प्राण-प्रतिष्ठा हुई, तब से यहाँ भक्तों का मेला सा लगा हुआ है। सरुय नदी के तट पर बसा आज देश विदेश का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल बन गया हैं। आज का अयोध्या प्रसिद्द महाकाव्य रामायण व श्री रामचरित मानस के यश को प्रदर्शित करता हैं। अयोध्या पुरातन काल केअवशेषों से जाना जाता है। अयोध्या के आस पास कई धार्मिक स्थल हैं, जिन्हें आप घूम सकते हैं। भगवान् श्री राम की अयोध्या भारत की सात पुरियों में से एक है। कहते है कि महर्षि वशिष्ठ ने राजा मनु के लिए अयोध्या का निर्माण देवशिल्पकार विश्वकर्मा जी के द्वारा कराया था। अयोध्या,भगवान् विष्णु सुदर्शन चक्र पर विराजमान है। भगवान् श्री राम की नगरी में कई बड़े बड़े संतों, तीर्थकरों, ऋषि-मुनि,महान योध्या इत्यादियों ने जन्म लिया। २२ जनवरी २०२४ को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होने के बाद भक्तों का आना शुरू हो गया है। यहाँ पर दिन व दिन दर्शन करने वालो की संख्या बढ़ रही है। अनुमान से बढ़ कर लोग दर्शन करने के लिए पहुँच रहे हैं और यह संख्या आने वाले दिनों मे तीन से चार गुना ओर बढ़ जाएगी। पर पिछले दस दिनों का अनुभव ये बताता है कि यह संख्या अचानक १० गुना तक बढ़ गयी है। नवनिर्मित श्री राम मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा मे दर्शन करने वालों की संख्या २५ लाख के पार पहुँच गयी हैं। प्रतिदिन ढाई लाख या उससे अधिक लोग दर्शन करने के लिए पहुँच रहे हैं, जबकि श्री राम मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा से पहले २० से २५ हजार लोग दर्शन करने के लिए पहुँच रहे थे। यह राम मन्दिर ओर रामजन्मभूमि पथ से लेकर पूरी राम नगरी के परिदृश्य को दर्शाता है। श्री राम मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा २२ जनवरी को हुई, २३ जनवरी से दर्शन करने वालो का ज्वार सा आ गया। उसके आगे सारी व्यवस्था बोनी साबित हुई हैं। अगर ये संख्या ३ लाख को पार कर जाए तो कोई हैरानी नही होगी। २४ फरवरी को माघ पूर्णिमा ओर १७ अप्रैल को श्री राम नवमी जैसे पर्व आ रहे है, उन दिनों में दर्शन करने वालों की संख्या १० लाख तक पहुँचने का आकलन किया जा रहा है।
श्री राम मन्दिर की खासियत:
श्री राम मन्दिर की खासियत के बारे में श्री राम मन्दिर ट्रस्टी ने जो जानकारी दी, उसके अनुसार श्री राम मन्दिर के निर्माण में लोहे का प्रयोग नही किया गया है तथा धरती के ऊपर हो रहे निर्माण में कंक्रीट का प्रयोग किया गया है। मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है। इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है। अभी इस मन्दिर का निर्माण चल रहा है। श्री राम मन्दिर पूरी तरह से २०२५ में बनकर तैयार होगा। इस पूरे मन्दिर को नागर शैली में बनाया जा रहा है। मन्दिर की लंबाई पूर्व से पश्चिम, ३८० फीट, चौड़ाई २५० फीट तथा उंचाई १६१ फीट रहेगी। श्री राम मन्दिर तीन मंजिल का रहेगा तथा तीनों मंजिलों की उंचाई २० फीट रहेगी। इस मन्दिर के ४४ द्वार और ३९२ खंभे होगें। इस मन्दिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान् श्री राम की बालरूप में ५१ इंच की काले रंग की मूर्ति होगी। इस मूर्ति का निर्माण मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाई है। मुख्य गर्भगृह पहली मंजिल पर रहेगा। इस मन्दिर में पांच मंडप होगें, नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप। मन्दिर की दीवारों पर देवी देवताओं की मूर्तियां उकेरी जा रही है। यहाँ आप ३२ सीढ़ियां चढ़कर पूर्व दिशा से प्रवेश करेगें और दक्षिण दिशा से बाहर निकलेगें। दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मन्दिर में लिफ्ट और रैम्प की व्यवस्था की गयी है। मन्दिर के चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा, जिसकी लंबाई ७३२ और चौड़ाई, १४ फीट रहेगी। परिकोटा के चारों कोनो पर सूर्यदेव, गणपति, भगवान् शिव को समर्पित चार मन्दिर होगें। उत्तरी भुजा में माँ अन्नपूर्णा देवी और दक्षिणी भुजा में श्री हनुमान जी का मन्दिर रहेगा। मन्दिर के निकट प्राचीन काल का सीताकूप उपस्थित रहेगा। मन्दिर परिसर में और भी मन्दिर रहेगें, जिनमे महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषि पत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होगें। इस मन्दिर के दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान् शिव के मन्दिर का निर्माण किया गया है तथा यहाँ जटायु की प्रतिमा स्थापित की गयी।
श्री राम मन्दिर खुलने का समय:
श्री राम मन्दिर, सुबह ६ बजे से दिन के १२ बजे तक खुलता है। उसके बाद मन्दिर के गर्भगृह के दरवाजे बन्द कर दिये जाते है, क्योंकि इस समय पर भगवान् श्री राम विश्राम करते है। फिर २ बजे से गर्भगृह के दरवाजे खुल जाते है और रात १० बजे तक खुले रहते है।
आरती का समय:
रामलला की आरती एक दिन में ६ बार होती है, जो इस प्रकार है, मंगला आरती – सुबह 4.30 बजे, शृंगार आरती – सुबह 6.30 बजे, भोग आरती – सुबह 11.30 बजे, मध्यान्ह आरती – दोपहर 2.30 बजे, संध्या आरती – शाम 6.30 बजे, शयन आरती – रात 8.30 बजे , इसी समय पर आरती होती है।
रामलला की आरती में उन्हीं भक्तों को शामिल किया जाता है, जिनके पास ट्रस्टी का पास होता है। ऐसा इसलिये किया गया, क्योंकि प्राण प्रतिष्ठा के बाद से यहाँ भक्तों की अपार भीड़ होती है, कोई अप्रिय घटना ना हो जाए। जिसके कारण इस तरह का नियम करना पड़ा। आप ट्रस्टी के कार्यालय से सीधे या फिर ऑनलाइन पास बनवा सकते है। ट्रस्टी द्वारा निशुल्क पास बनाये जाते है। पास बनवाने के लिये आपके पास कुछ दस्तावेज होने चाहिए। जैसे कि ड्राइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड,पासपोर्ट में कोई एक दस्तावेज देकर पास बनवाना पड़ेगा, और उसे सुरक्षाकर्मियों को देना होगा।
दर्शनीय स्थल:
आज अयोध्या भारत देश का बहुत बड़ा धार्मिक स्थल बन गया है। वैसे भी आयोध्या प्राचीन काल से धर्म की स्थली रहा है।आज अयोध्या में घूमने के लिए कई ऐसे स्थल है, जो प्राचीन काल से आस्था के केन्द्र बने हुए है। आज अयोध्या में कई ऐसे प्राचीन स्थल है, जिन्हें आप घूम सकते है।यहाँ पर मन्दिर और घूमने के स्थल आस पास ही है, जिन्हें आप पैदल या रिक्शा से घूम सकते है। अब हम आपको अयोध्या के दर्शन करने वाले स्थलों का वर्णन कर रहे है।
सरयू घाट:
अयोध्या सरयू नदी के किनारे बसा हुआ है। इसी नदी के एक किनारे पर सरयू घाट बना है, वैसे तो कई घाट है जिनका अपना अपना महत्व है। जैसे सरयू घाट, राम घाट, गुप्तार घाट, लक्ष्मन घाट इत्यादि। अब हम बात करते है सरयू घाट की, मान्यता है कि सरयू घाट पर स्नान करने से भक्त के सारे पाप धुल जाते है।सरयू घाट पर होने वाली शाम की आरती मन को मोह लेती है, शाम की आरती में भक्तों की अपार संख्या होती है। जब आरती होती है, उस समय का दृश्य बहुत ही सुंदर होता है। इस नदी के किनारे नाव वाले अपनी अपनी नाव को सजाकर रखते है, आप उसमे बैठकर सभी घाटों का लुफ्त उठा सकते है।
राम की पैडी:
सरयू घाट के निकट ही राम की पेड़ी नाम से एक प्राचीन स्थल है। जिसके बारे में मान्यता है कि बार लक्ष्मण जी ने सभी तीर्थ स्थल के दर्शन करने का निचश्य किया, तब भगवान् श्री राम ने राम की पैडी नामक स्थान की स्थापना की और कहा कि जो भक्त यहाँ पर स्नान करेगा, उसके सारे पाप धुल जाएगे तथा उसे तीर्थ का पुण्य प्राप्त होगा। इसलिए यहाँ जब भी आये, यहाँ स्नान जरूर करे। इसी स्थान पर सबसे बड़ा दीपोस्तव मनाया गया था, जिसे देखने के लिए देश के हर कोने से लोग देखने आये थे।
श्री नागेश्वरनाथ मंदिर,
सरयू नदी के पास बाबा भोलेनाथ का श्री नागेश्वरनाथ मन्दिर है, जिसे भगवान् श्री राम के छोटे बेटे कुश ने बनवाया था। कहते है कि एक दिन कुश सरयू नदी में स्नान कर रहे थे, उस समय उनके हाथ से एक कड़ा नदी में गिर गया, जो कुश को नही मिला। फिर ये कड़ा नागराज कुमुद को मिला, जिसे उन्होनें कुश को नही दिया। तब कुश ने नाग वंश का नाश करने के लिए धनुष बाण को हाथ में लिया। यह देखकर कुमुद ने भोलेनाथ को पुकारा, तब भोलेनाथ प्रकट हुए और बीच का रास्ता निकालते हुए कुमुद की पुत्री का विवाह कुश के साथ करा दिया।तब कुश ने श्री नागेश्वरनाथ महादेव के मन्दिर को बनवाया।
हनुमानगढ़ी:
श्री राम की पैडी से ४ किलोमीटर करीब श्री हनुमान गढ़ी स्थित है।कहते है कि जहाँ श्री राम वहाँ श्री हनुमान। कहते है कि यहाँ से श्री हनुमान जी पूरे अयोध्या की देखभाल करते है। जो यहाँ आता है, वो सबसे पहले श्री हनुमान गढ़ी के दर्शन करता है। यह मन्दिर एक ऊँचे टीले पर स्थित है, यहाँ तक पहुचने के लिए ७६ सीढियों चढ़ना पड़ेगा।फिर आपको श्री हनुमान जी की ६ इंच की मूर्ति के दर्शन होगे। श्री हनुमान जी बालक रूप में माँ अंजनी की गोद में बैठे हुए है और यह मूर्ति चारों ओर से फूल मलाओं से ढकी हुई है।देखने में यह मूर्ति बहुत ही सुंदर लगती है।यहाँ पर भक्तों की अपार भीड़ होती है, हर कोई श्री हनुमान जी की एक झलक देखना चाहता है। यहाँ जो भी आता है, श्री हनुमान जी उसकी मनोकामना पूरी करते है, कोई भी निराश नही जाता है।
राजा दशरथ महल:
यह महल राजा दशरथ का महल है।जो हनुमान गढ़ी से २०० मीटर की दूरी पर स्थित है। इसी महल में राजा दशरथ अपने सभी पुत्रों के साथ रहते थे। श्री राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का बचपन इसी महल में बीता था। जैसे ही आप अंदर प्रवेश करेगें, आपको एक बड़ा सा आँगन दिखाई देगा, जहाँ श्री राम के भजन कीर्तन के कार्यक्रम होते रहते है। इस मन्दिर में माता सीता सहित सभी भाईयों की मूर्तियाँ स्थापित है।यह मन्दिर सुबह ८ बजे से १३ बजे तक और शाम ४ बजे से रात १० बजे तक खुलता है।
त्रेता के ठाकुर:
अयोध्या का एक और प्राचीन मन्दिर त्रेता के ठाकुर जी का मन्दिर है। यह मन्दिर भी भगवान् श्री राम का मन्दिर है। यह मन्दिर अयोध्या के नया घाट पर बना है। इस मन्दिर को कुल्लू के राजा ने ३०० साल पहले बनवाया था। मान्यता है कि भगवान् श्री राम, रावण का वध करने के बाद यहाँ आये और फिर इसी स्थान पर श्री राम ने अश्वमेध यज्ञ किया था। इस मन्दिर में माता सीता सहित चारों भाइयों की पवित्र मूर्तियों को काले रंग की एक ही शिला खंड पर दर्शायी गयी है, जो देखने में बहुत ही सुंदर लगती है। यह मन्दिर हिंन्दुओ की आस्था का प्रमुख केन्द्र है। इस मन्दिर में आने का सबसे अच्छा समय कार्तिक का महीना है। इस महीने मे पड़ने वाली पहली एकादशी यहाँ बहुत बड़ा मेला लगता है, इस दिन यहाँ पर लाखों भक्त आते है। फिर सरयू नदी में स्नान करने के बाद यहाँ दर्शन करते है। इस समय यह मन्दिर भक्तों को अपनी ओर आकृषित करता है।
सीता की रसोई:
श्री राम जन्म स्थान के उत्तर-पश्चिमी में सीता की रसोई नाम एक स्थान है। जो पहले एक मन्दिर था, जिसे बाद में सीता की रसोई नाम में परिवर्तित कर दिया गया। यह कोई सामान्य रसोई नही है, बल्कि एक मन्दिर है। कहते है कि माता सीता ने इसी स्थान पर पांच ऋषियों को भोजन कराया था, तब से माँ सीता जी को अन्नपूर्णा व अन्न की देवी कहा जाने लगा। इस मन्दिर की खासियत यह है कि इस मन्दिर में चारों भाईयों की मूर्तियाँ जोड़े के रूप में है। जैसे राम-सीता, लक्ष्मण-उर्मिला,भरत-मांडवी तथा शत्रुघ्न-श्रुताकीर्ति, यह मूर्तियाँ देखने में बहुत सुंदर लगती है।
रामकथा पार्क:
श्री रामकथा पार्क बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है, यह स्थान श्री राम कथा व श्री रामचरितमानस तथा आध्यात्मिकता, सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम, भजन कीर्तन के लिए जाना जाता है। यहाँ कार्यक्रम करने के लिये बहुत बड़े बड़े संत, कथा वाचक आते है। यहाँ घूमने के लिए एक बहुत बड़ा बगीचा बनाया गया है। यहाँ श्री रामकथा व श्री रामचरितमानस जैसे कार्यक्रम होने के कारण यह भी स्थान एक आस्था का केन्द्र बन गया है।श्री राम कथा पार्क में आने वाले सभी लोगों का यह मन मोह लेता है। अगर आप भी यहाँ आएगें, तो आपको भी यहाँ अच्छा लगेगा।
कनक भवन:
इस भवन की भी अपनी एक प्राचीन कथा है। कहते है कि राजा दशरथ की महारानी कैकेयी ने माता सीता को मुहं दिखाई में दिया था। फिर इसके बाद राजा दशरथ ने अपनी महारानी कैकेयी के कहने पर इसी स्थान पर एक बहुत बड़े महल का निर्माण कराया था, इसके बाद श्री राम सीता जी इसी महल में रहने लगे। यह महल अयोध्या का सबसे बड़ा, विशाल, भव्य और सुंदर महल है, बाद में इसे मन्दिर बना दिया गया। इस मन्दिर में सोने के मुकुट पहने हुए श्री राम सीता की मूर्ति है, जो देखने में भव्य और सुंदर लगती है। जब आप यहाँ आएगें, तो आपको यहाँ पर श्री राम सीता के साझात होने का अनुभव होगा।महल है।
तुलसी स्मारक भवन:
यह भवन महान संत और महाकाव्य श्री रामचरितमानस की रचना करने वाले संत तुलसी दास जी को समर्पित है। यह भवन श्री हनुमान गढ़ी के निकट है। यहाँ पर अयोध्या की सबसे बड़ी रामलीला होती है, जिसे देखने के लिए लोगों की अपार भीड़ होती है। यहाँ पर भजन कीर्तन होते रहते है। अब इस भवन में संत तुलसी दास से सम्बन्ध रखने वाली या उनके हाथों द्वारा रचित प्रसिद्ध साहित्यक रचनाओं का संग्रह है। अब तुलसी स्मारक भवन का और अच्छी तरह से विस्तार किया जा रहा है।
छोटी देवकाली मंदिर:
यह मन्दिर भी भगवान् श्री राम और माँ सीता से सम्बन्ध रखता है। यह मन्दिर नया घाट के पास ही स्थित है। इस स्थान की भी अपनी मान्यता है। कहते है कि माता सीता विवाह के बाद जब यहाँ आयी, अपने साथ माँ गिरिजा देवी की प्रतिमा साथ लेकर आयी और माता सीता उस प्रतिमा की प्रतिदिन पूजा किया करती थी। जब राजा दशरथ ने माता सीता को इस प्रतिमा की प्रतिदिन पूजा करते देखा, तब राजा दशरथ ने इसी स्थान पर एक मन्दिर का निर्माण कराया और इस मन्दिर के गर्भ गृह में इसी प्रतिमा को स्थापित कर दिया। इस प्रतिमा का रंग काला होने के कारण इसका नाम देवी देवकाली पड़ा।
गुप्तार घाट:
वैसे तो अयोध्या में कई घाट है, जैसे गुप्तार घाट,ऋणमोचन घाट, लक्ष्मण घाट, शिवाला घाट, जटाई घाट, अहिल्याबाई घाट, धौरहरा घाट, नया घाट और जानकी घाट इत्यादि। इनमे से गुप्तार घाट का अपना एक प्रमुख स्थान है। यह घाट सरयू नदी के पास स्थित है। यह घाट आस्था का एक प्रमुख केन्द्र है, क्योंकि इसी स्थान पर भगवान् श्री राम ने जल समाधि ली थी, या फिर ये कहे कि भगवान् श्री राम ने अपना शरीर गुप्त किया था। इसीलिऐ इस घाट का नाम गुप्तार घाट पड़ा। इस घाट का निर्माण राजा दर्शन सिंह १९ वीं शताब्दी में कराया था। इस घाट के आस पास कई सारे मन्दिर है, जिनमे जानकी मंदिर, पुराना चरण पादुका मंदिर, नरसिंह मंदिर तथा हनुमान मंदिर प्रमुख है।
मणि पर्वत:
इस पर्वत का सम्बन्ध भगवान् श्री राम के परम पूज्य भक्त श्री हनुमान जी से है। कहते है कि जब युद्घ में लक्ष्मण जी घायल होकर मूर्छित हो गये, तब श्री हनुमान जी को संजवनी बूटी लाने के लिए भेजा गया। तब श्री हनुमान जी संजीवनी बूटी पहचान नही पाए और पूरा का पूरा पर्वत ही उठा लाये। बीच रास्ते में इस पर्वत के कुछ भाग गिर गया, इसी गिरे हुए भाग को मणि पर्वत कहने लगे। इस पर्वत की उंचाई लगभग ६५ फुट है। जब भी आप आयोध्या घूमने जाये, तब आप मणि जरूर घूमने जाये।
सुग्रीव किला:
जब हम भगवान् श्री राम तथा उनके परम भक्त की बात कर रहे है, तो फिर राजा सुग्रीव का नाम आना भी स्वभाविक है। अब आपको सुग्रीव किला के बारे में बताते है। सुग्रीव किला, श्री हनुमान गढ़ी में ही स्थित है। सुग्रीव किले में गरुड़ स्तम्भ भी स्थित है। कहते है कि जब भगवान् राम लंका पर विजय प्राप्त करके अयोध्या लौटे, तब भगवान् श्री राम ने भरत से पूछा कि पहले तो ये महल नही था। तब भरत ने हाथ जोड़कर विनम्रता से कहा कि ये आपके स्वागत के लिए बनाया गया है। तब भगवान् श्री राम ने कहा, इस विजय में मेरे अलावा राजा सुग्रीव का भी योगदान है। तब भगवान् श्री राम ने यह महल राजा सुग्रीव को दे दिया। तभी से इस महल का नाम सुग्रीव किला पड़ गया। यहाँ दर्शन करने से आपस की शत्रुता समाप्त हो जाती है। जब भी आप अयोध्या घूमने जाये, तो सुग्रीव किला जरूर घूमने जाये।
जाने का समय:
अयोध्या भगवान् राम की नगरी है। इसलिए आप यहाँ कभी आ सकते है। यहाँ आने के लिए कोई खास दिन या खास महीना नही है। भगवान् श्री राम के लिये तो हर दिन, हर महीना सुहाना होता है। लेकिन अगर आप सपरिवार अयोध्या आ रहे है, तो आपको कुछ बातों का खयाल रखना होता है। जैसे कि बरसात के मौसम में पानी बरसता है, आंधी आती है। जिससे आपको दिक्कत हो सकती है। गर्मी के मौसम में लू चलती है, बहुत ज्यादा गर्मी पड़ती है, गर्मी में बीमारियों का खतरा रहता है। जिससे आपको दिक्कत हो सकती है। सबसे सही समय अक्तूबर से लेकर मार्च तक होता है। इन महीनों में आप आराम से घूम सकते है, आपको किसी भी तरह की कोई दिक्कत नही होगी।
रुकने का स्थान:
आजकल अयोध्या में रुकने के लिए कई स्थान है, जहाँ आप रुक सकते है। यहाँ पर अब कई होटल बने हुए है, इन होटलों में ए सी, नॉन ए सी दोनों तरह के कमरे मिल जाएगें। नॉन ए सी कमरा ४०० से ५०० के बीच में मिल जाता है और ए सी कमरा १००० से १२०० रुपये में मिल जाता है। अयोध्या में कई प्रकार की धर्मशाला भी है, जहाँ आप सस्ते में रुक सकते है। जैसे बिरला धर्मशाला, श्री जानकी महल ट्रस्टी धर्मशालाला, जहाँ आप रुक सकते है। अगर आपको और भी धर्मशाला की जानकारी चाहिए, तो आप ऑनलाइन चेक कर सकते है। ये आपके लिए आसान रहेगा।
भोजन के स्थान:
यहाँ आपको रेस्टोरेंट, स्ट्रीट फूड और खाने पीने की दुकाने मिलेगी। जहाँ आप स्थानीय भोजन तथा नाश्ते का लुफ्त ले सकते है। लेकिन यहाँ पर भक्तों के लिए निशुल्क भोजन की भी व्यवस्था होती है। यहाँ अमावा मन्दिर में राम की रसोई नाम से भक्तों को शुध्द और सात्विक भोजन का प्रसाद खिलाया जाता है। इस रसोई में प्रतिदिन २ से ३ हजार भक्तों को निशुल्क भोजन कराया जा रहा है। इसके अलावा कनक भवन ट्रस्टी के द्वारा कनक रसोई में भी भक्तों को सस्ते में शुध्द और सात्विक भोजन कराया जाता है। कुछ धर्मशालाओं में आपको निशुल्क या बहुत कम रुपये में भोजन और नाश्ता कराया जाता है।
जाने के साधन:
हवाई मार्ग द्वारा:
अब दर्शन करने वालो के लिए हवाई मार्ग की भी सुविधाएं प्रदान करने के लिए सरकार कदम उठा रही है। जब से अयोध्या में महर्षि वाल्मिकी हवाई अड्डा का शिलान्यास हुआ है तब से अयोध्या के लिए चार शहरों से सीधी हवाई सेवा शुरू हो गई है। स्पाइ जेट ने अयोध्या को चेन्नई, जयपुर, पटना, दरभंगा से जोड़ दिया है। पहले ही दिन आने वाले प्लने फुल रहे है दर्शन करने वालों ने एयरपोर्ट पर जय श्री राम और सिया वर राम चन्द्र की जय जय कार की। अभी चार और एयरपोर्ट शुरू होने जा रहे है। दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, बंगलौर से भी हवाई यात्रा करके भक्त दर्शन करने के लिए पहुँच सकेगे। अयोध्या नगरी को देश के बड़े बड़े शहरों से जोड़ा जा रहा है। आज से १० वर्ष पूर्व कोई नहीं सोचता था कि अयोध्या में इंटरनेशनल एयरपोर्ट होगा। आज यह सपना साकर हुआ है।
रेल मार्ग द्वारा:
आज अयोध्या रेलवे स्टेशन, जिसे अब अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन के नाम से भी जाना जाता है, देश के हर एक बड़े रेलवे स्टेशन से जुड़ा हुआ है। आज अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन कई रेलों का स्टॉप है। इसलिये आप देश के किसी भी कोने में क्यों ना हों, आपको किसी भी तरह की कोई भी दिक्कत नहीं होगी।अगर आपको अयोध्या के लिए सीधी ट्रेन नही मिलती है, तो आप पास के किसी रेलवे स्टेशन तक आ सकते है। जैसे लखनऊ, कानपुर, वाराणसी या प्रयागराज। फिर आप ट्रेन बदल कर अयोध्या आसानी से पहुँच सकते है। ट्रेन से यात्रा करना सुविधाजनक और आरामदायक भी होता है। है, तथा किराया भी काफी काम होता है।
सड़क मार्ग द्वारा:
आज अयोध्या भारत देश का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल बन गया है, इसके लिए सरकार सड़क मार्ग के द्वारा अयोध्या पहुँचने के लिए तरह तरह के हाईवे का निर्माण करवा रही है। आज अयोध्या जाने वाली हर एक सड़क को हाईवे जैसा बना दिया गया है। जो सड़कें सकरीं थी, उन्हें भी फोर लेन कर दिया गया है। आज यहाँ की हर एक सड़क फोर लेन से कम नही है। यहाँ पहुँचने के लिए हर एक शहर से नियमित बसें चल रही है। ए सी या नॉन ए सी दोनों तरह की बसें चल रही है। डीलक्स बसें भी चल रही है। आप ४ से ५ घंटे में यहाँ पहुँच जाएगें। अगर आप अपने निजी वाहन से आ रहे है। तो आप रास्ते का लुफ्त लेते आएगें। अब यहाँ की सड़कें बहुत ही आरामदायक है। अब आप कहीं से भी सड़क मार्ग द्वारा आसानी से अयोध्या पहुँच सकते है। आपको किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नही होगी
आपको अपने लेख के द्वारा श्री राम जन्मभूमि मन्दिर, एक नये धार्मिक स्थल को शेयर कर रहा हूँ। आशा करता हूँ कि आपको ये लेख पसंद आएगा। मेरा ये लेख आपकी यात्रा को आसान और सुगम बनाने में आपकी बहुत मदद करेगा। आप अपने सपरिवार के साथ श्री राम जन्मभूमि मन्दिर के दर्शन करके भगवान श्री रामचंद्र जी का आशिर्वाद प्राप्त कर सकते है। अगर आप कोई और जानकारी चाहते है, तो कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूछ सकते है