चंबा एक हिल स्टेशन, चंबा, हिमाचल प्रदेश :

  भारत देश के हिमाचल प्रदेश राज्य में स्थित एक शहर चंबा है। जो रावी नदी के किनारे 996 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। चंबा पहाड़ी राजाओं की प्राचीन राजधानी थी। चंबा को राजा साहिल वर्मन ने 920 ई. में स्थापित किया था। इस नगर का नाम उन्होंने अपनी प्रिय पुत्री चंपावती के नाम पर रखा। चारों ओर से ऊंची पहाड़ियों से घिरे चंबा ने प्राचीन संस्कृति और विरासत को संजो कर रखा है। चंबा जोअपनी धाराओं, मंदिरों, घास के मैदानों, चित्रों और झीलों के लिए काफी प्रसिद्ध है। चंबा को दूध और शहद की घाटी के नाम से भी जाना जाता है। चंबा में हस्तशिल्प और वस्त्र क्षेत्र, पाँच झीलें, पाँच वन्यजीव अभयारण्य और कई मंदिर है। चंबा का लुफ्त लेने के लिये देश से ही नहीं बल्कि विदेश से भी पर्यटक आते है।

चंबा का इतिहास :

चंबा का अरबी नाम जाब है और इसके जाफ, हाब, आब और गाँव नाम भी हैं और इसकी प्राचीन राजधानी ब्रह्मपुर (वयराटपट्टन) थी। इतिहासकारों के अनुसार यह अलखनंदा और करनाली नदियों के बीच बसा है। कुछ काल बाद इस प्रदेश की राजधानी चंबा हो गई। 15 अप्रैल 1948 में इसका विलयन भारत सरकार द्वारा शासित हिमाचल प्रदेश में हो गया। अरब लेखकों ने सामान्यत: चंबा के सूर्यवंशी राजपूत शासकों को ‘जाब’ की उपाधि के साथ लिखा है। हब्न रुस्ता का मत है कि यह शासन सालुकि वंश के थे परंतु राजवंश की उत्पत्ति के संबंध में विद्वानों में मतभेद है। ८४६ ई. में सर्वप्रथम हब्न खुर्रदद्बी ने ‘जाब’ का प्रयोग किया, पर ऐसा लगता है कि इस शब्द की उत्पत्ति अरब साहित्य में इससे पूर्व हो चुकी थी। इस प्रकार यह प्रामाणिक माना जाता है कि चंबा नगर ९ वीं शताब्दी के प्रथम दशक में विद्यमान था। इब्न रुस्ता ने लिखा है कि चंबा के शासक प्राय: गुर्जरों और प्रतिहारों से शत्रुता रखते थे।

प्रसिध्द त्यौहार :

चंबा में दो त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, पहला सुई माता मेला है। जो चार दिनों तक चलता है और मार्च / अप्रैल के दौरान आयोजित किया जाता है। यह मेला रानी के बलिदान की याद के रूप में मनाया जाता है। दूसरा त्यौहार मीनार मेला है, जिसे श्रावण मास के दूसरे रविवार या अगस्त में मनाया जाता है।

दर्शनीये स्थल :

अगर आप चंबा घूमने के लिए जा रहे है, तो आप चंबा के आस पास और भी कई दर्शनीये स्थल है, जिन्हें आप घूम सकते है। जैसे,

चामुंडा देवी मंदिर :

यह मन्दिर पहाड़ की चोटी पर स्थित है और राजा उम्मेद सिंह द्वारा वर्ष 1762 में बनाया गया था। मन्दिर एक ऊंचे चबूतरे पर बना हुआ है और देवी काली को समर्पित है। जिन्हें युध्द की देवी कहा जाता है। मंदिर के दरवाजों के ऊपर, स्तम्भों और छत पर खूबसूरत नक्काशी की गई है। मंदिर के पीछे शिव का एक छोटा मंदिर है। पाटीदार और लाहला के जंगल के बीच यह मंदिर पूरी तरह से लकड़ी से बना है। पहले इस मंदिर तक जाने के लिए पत्थरों से काटी गई 400 सीढियां चढ़ कर जाना पड़ता था। लेकिन अब चंबा से 3 किलोमीटर लंबी कंक्रीट सड़क के माध्यम से आसानी से मंदिर तक पहुँचा जा सकता है

अखंड चंडी महल :

18 वीं शताब्दी के मध्य में निर्मित चंबा पैलेस या अखंड चंडी पैलेस चंबा में स्थित सफेद रंग की इमारत है। जिसे राजा उम्मेद सिंह ने सन् 1748 से 1764 के बीच बनवाया था। यह महल चंबा के शाही परिवारों का यह निवास था। 1879 में कैप्टन मार्शल ने महल में दरबार हॉल बनवाया। बाद में राजा भूरी सिंह के कार्यकाल में इसमें जनाना महल जोड़ा गया। महल की बनावट में ब्रिटिश और मुगलों का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है। सन् 1958 में शाही परिवारों के उत्तराधिकारियों ने हिमाचल सरकार को यह महल बेच दिया। बाद में यह महल सरकारी कॉलेज और जिला पुस्तकालय के लिए शिक्षा विभाग को सौंप दिया गया। यह पूरा भवन तीन भाग में विभाजित है, जिसमें बर्फ की आसान छाँव के लिए ढलानदार छतें है।

श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर :

श्री लक्ष्मी नारायण मन्दिर, चंबा का सबसे पुराना और सबसे बड़ा मन्दिर है। यह मन्दिर चंबा के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह मन्दिर पांरपरिक वास्तुकारी और मूर्तिकला का उत्कृष्टह उदाहरण है। यह मन्दिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे राजा साहिल वर्मन ने 10 वीं शताब्दी में बनवाया था। यह मंदिर शिखर शैली में निर्मित है। इस मन्दिर में भगवान विष्णु और शिव की छह मूर्तियाँ स्थित हैं। केंद्र में स्थित भगवान् विष्णु की मूर्ति को संगमरमर से उकेरा गया है। सवसे पहले यह मन्दिर चम्बा के चौगान में स्थित था परन्तु बाद में इस मन्दिर को राजमहल (जो वर्तमान में चम्बा जिले का राजकीय महाविद्यालय है) के साथ स्थापित कर दिया गया।

श्री हरि राय मंदिर :

यह मन्दिर चंबा का एक प्रमुख मन्दिर है और इसे ११ शताब्दी में सालबाहन ने बनवाया था। यह मन्दिर भगवान विष्णु को समर्पित है और यह मन्दिर चौगान के उत्तर पश्चिम किनारे पर स्थित है। मंदिर के शिखर पर बेहतरीन नक्काशी की गई है। इस मन्दिर में भगवान विष्णु अपने तीन रूपों मानव, सूअर और शेर के रूप में स्थापित है। मन्दिर में भगवान विष्णु की मूर्ति को अंगूठियों, बाजुओं, मुकुट (सिर वाले गियर), मनके हार और कुंडल के साथ उत्कृष्ट रूप से सजाया गया है। इस मंदिर में भगवान विष्णु की एक और आकर्षक मूर्ति है जिसमें वे छह घोड़ों के रथ पर सवार हैं। यह मन्दिर शिकारा शैली की वास्तुकला को दर्शाता है। इस मन्दिर में भगवान शिव सूर्य, अरुणा, देवी उमा और नंदी की भी मूर्ति हैं।

वजरेश्वरी मंदिर :

इस मन्दिर को १००० साल पुराना माना जाता है। वज्रेश्वरी मंदिर, चंबा में जनसाली बाजार के अंत में स्थित बिजली की देवी को देवी वज्रेश्वरी को समर्पित है। शिखर शैली में निर्मित इस मंदिर की छत लकड़ी से बना है और एक चबूतरे पर स्थित है। मंदिर के शिखर पर बेहतरीन नक्काशी की गई है। इस मंदिर में सबसे ज्यादा मनाया जाने वाला त्यौहार अमावस्या है, जब देवी वज्रेश्वरी के सम्मान में विशाल मेला आयोजित किया जाता है

सूई माता मंदिर :

यह मन्दिर शाह मदार हिल की चोटी पर स्थित है और इसे राजा वर्मन ने अपनी पत्नी रानी सुई की याद में बनवाया था। जिसने अपने लोगों के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया था। यहाँ सूई माता नें कुछ समय के लिए विश्राम किया था। यहाँ सूई माता की याद में यहां हर साल सूई माता का मेला चैत्र महीने से शुरू होकर बैसाख महीने तक चलता है। यह मेला महिलाओं और बच्चों द्वारा मनाया जाता है। मेले में रानी के गीत गाए जाते हैं और रानी के बलिदान को श्रद्धांजलि‍ देने के लिए लोग सूई मन्दिर से रानी के वलिदान स्थल मलूना तक जाते हैं।

चंपावती मंदिर :

यह मन्दिर शहर की पुलिस चौकी और कोषागार भवन के पीछे स्थित है और यह मन्दिर राजा साहिल वर्मन की पुत्री को समर्पित है। चंपावती ने अपने पिता को चंबा नगर स्थापित करने के लिए प्रेरित किया था। मंदिर को शिखर शैली में बनाया गया है। मंदिर में पत्थरों पर खूबसूरत नक्काशी की गई है और छत को पहिएनुमा बनाया गया है।

खजियार :

खजियार, चम्बा की सबसे खूबसूरत और रमणीय जगह है। जो चम्बा से 22 किलोमीटर दूर स्थित है। इस जगह को घूमने के लिए भारी संख्या में लोग आते है। यहाँ एक झील है जो की काफी पुरानी है। और जिसका दृश्य लोगों को आकृषित करता है। इस झील पर लगी हुए घास इतनी उपजाओ है। कि लोग इस घास को उखाड़ के अपने घर के आंगन में उगते है। मशहूर चौगान चम्बा की घास भी यही से लायी गयी है और हर साल खजियार की इस घास को चम्बा के चौगान में उगाया जाता है।

चौगान :

चौगान लगभग 1 किलोमीटर लंबा और 75 मीटर चौड़ा यह मैदान चंबा के बीचों बीच स्थित है। यह एक खुला घास का मैदान है। चौगान में हर साल मिंजर मेले का आयोजन किया जाता है। एक सप्ताह तक चलने वाले इस मेले में स्थानीय निवासी रंग बिरंगी वेशभूषा में आते हैं। इस अवसर पर यहां बड़ी संख्या में सांस्कृतिक और खेलकूद की गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। लेकिन अब चौगान तीन चार हिसों में बंट चुका है।

स्थानीय व्यंजन :

हिमाचल प्रदेश का धाम जो कि यहां के स्वादिष्ट व्यंजनों से भरी एक थाली होती है। इस थाली में दाल, चावल, राजमा, दही के साथ कई चीजें परोसी जाती है। यह धाम ज्यादातर कांगड़ा, चंबा और मनाली में मिलता है। मादरा, जो कि चंबा का प्रसिध्द व्यंजन है. यह काले चने या छोले भिगोकर बनाया जाता है. इस डिश को स्वादिष्ट बनाती है दाल चीनी। यह व्यंजन बहुत सारे मसालों और सूखे फलों में पकाया जाता है। दही एक महत्वपूर्ण घटक है और इसके हर भोजन के साथ इस्तेमाल किया जाता है।

जाने का समय :

वैसे तो आप चंबा घूमने के लिए साल में कभी भी जा सकते है, लेकिन बारिश में यात्रा करने से बचे। क्योंकि बारिश के मौसम में आंधी, तुफान और भूस्खलन के कारण परेशानी हो सकती है। सर्दियों में तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है। अगर आप बर्फबारी का लुफ्त लेना चाहते है, तो आप सर्दियों में यात्रा करें। सबसे सही समय गर्मियों का है। क्योंकि गर्मियों के समय मौसम सुखद और सुहावना रहता है। चंबा में गर्मियों में दिन गर्म, रात ठंडी होती है।

जाने के साधन :

अगर आप चंबा घूमने के लिए जा रहे है, तो आप किसी भी साधन के द्वारा चंबा पहुँच सकते है। आप हवाई मार्ग, रेल मार्ग या फिर सड़क मार्ग द्वारा चंबा पहुँच सकते है।

हवाई मार्ग :

चंबा के सबसे नजदीक एयरपोर्ट पठानकोट एयरपोर्ट है, जो चंबा से १२० किलोमीटर दूर स्थित है। यह एयरपोर्ट सभी प्रमुख एयरपोर्ट से जुड़ा हुआ है। एयरपोर्ट से आप किसी भी स्थानीय साधन के द्वारा चंबा पहुँच सकते है।

रेल मार्ग द्वारा :

चंबा के सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन पठानकोट रेलवे स्टेशन है, जो चंबा से लगभग १२० किलोमीटर दूर स्थित है। यह रेलवे स्टेशन देश के सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। रेलवे स्टेशन से आप किसी भी स्थानीय साधन के द्वारा चंबा पहुँच सकते है।

सड़क मार्ग द्वारा :

चंबा, हिमाचल प्रदेश और अन्य राज्यों से सड़क के माध्यम से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। चंबा के लिए परिवहन निगम की बसें और निजी बसें नियमित रूप से चलती रहती है। चंबा के लिए लग्जरी बसें भी चलती रहती है।

आपको अपने लेख के द्वारा चंबा एक हिल स्टेशन को शेयर कर रहा हूँ। आशा करता हूँ कि आपको ये लेख पसंद आएगा। मेरा ये लेख आपकी यात्रा को आसान और सुगम बनाने में आपकी बहुत मदद करेगा। आप अपने सपरिवार के साथ चंबा एक हिल स्टेशन घूमने के लिए जा सकते है। अगर आप कोई और जानकारी चाहते है, तो कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूछ सकते है।

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