भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा भारत का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है। मथुरा में पूरे साल भक्तों का मेला लगा रहता है, होली और जन्माष्टमी पर तो लाखों भक्तों की भीड़ होती है।मथुरा का वृंदावन, बरसाना यहाँ की रौनक में चार चांद लगा देते है। मथुरा शहर, उत्तर प्रदेश राज्य का एक ऐसा शहर है, जिसे भगवान श्री कृष्ण के जन्मस्थल के लिए जाना जाता है। यही नही मथुरा एक सप्तपुरी भी है, यहाँ ५१ शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ भी है। मथुरा शहर, यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है, इस शहर की हर गली में आपको एक ना एक मन्दिर देखने को मिलेगा। होली के समय और जन्माष्टमी, कृष्ण के जन्मदिन पर यहां उत्सव मनाया जाता है। अगर आप इन उत्सव में शामिल होना चाहते हैं तो होली और जन्माष्टमी का समय एक खास अनुभव करने के लिए मथुरा आना बहुत अच्छा है। घूमने की दृष्टि से ये एक महत्वपूर्ण शहर है। यह एक ऐसा शहर है, जहाँ आप सभी प्रकार के साधनों से आ सकते है।
मथुरा का इतिहास:
मथुरा का इतिहास लगभग २५०० साल पुराना है, और इसे ब्रज भूमि भी कहा जाता है। यह वही स्थान है, जहाँ भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया था। इसका उल्लेख हमारे प्राचीन काल के महाकाव्यों में मिलता है। यह एक हिन्दू धार्मिक स्थल होने के साथ साथ बौद्धों और जैनों के लिए भी एक पवित्र स्थान है। कहते है कि ४०० वीं शताब्दी में कुषाण राजवंश के शासन के समय चीनी राजदूत फाह्यन ने इस शहर में कई सारे बौद्ध मठों के होने का दावा किया था। इसके बाद यह शहर मुस्लिम शासकों के अधीन हो गया और महमूद गजनवी ने यहाँ के बहुत सारे मंदिरों को तोड़ दिया था, इसके बाद औरंगजेब ने भी यहाँ तोड़ फोड़ की, इसके बाद यह स्थान अंग्रेजों के अधीन हो गया। जब यह स्थान अंग्रेजों से मुक्त हुआ, उसके बाद पुनरुत्थानवादी हिंदू आंदोलन ने फिर से इस स्थान को पुनर्जीवित किया।
दर्शनीये स्थल :
अगर आप मथुरा घूमने के लिए जा रहे है, तो आप मथुरा घूमने के साथ साथ वहाँ के खूबसूरत और प्रसिध्द दर्शनीये स्थल भी घूम सकते है, जो यहाँ की शोभा बढ़ा रहे है। जैसे,
श्री कृष्ण जन्म भूमि मंदिर:
इस मन्दिर को भगवान श्री कृष्ण के जन्म स्थान के रूप में जानते है। भगवान श्री कृष्ण, भगवान विष्णु जी के ८ वें अवतार थे, जोकि एक जेल कोठरी में पैदा हुए थे। अब इस स्थान पर एक मन्दिर बना हुआ है, जहाँ लाखों भक्त आते है। होली तथा जन्माष्टमी को इस स्थल पर भक्तों का मेला लगता है। यह मन्दिर मथुरा शहर के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह मन्दिर एक बहुत बड़े विशाल परिसर में बहुत ही सुंदर और भव्य बना हुआ है। अगर आप यहाँ पर आये है तो आप इस मन्दिर में अच्छे से समय दे और भगवान श्री कृष्ण के मनमोहक दर्शन कीजिए। इस मन्दिर की परिक्रमा करने के साथ साथ आप और भी देवी देवताओं के दर्शन कर सकते है। यहाँ पर आपको भगवान को अर्पित किया हुआ प्रसाद भी मिलता है, आप चाहें तो अपने परिजनों के लिए भी प्रसाद खरीद सकते है। इसके बाद आप मन्दिर के नीचे जाये और गुफ़ा के दर्शन करे, दर्शन करने के लिए १० रुपये का टिकट लगता है। यहाँ आपको भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी कई प्रकार की झांकिया देखने को मिलेगी, जो आपका मन मोह लेगी। इस मन्दिर के परिसर में एक प्राचीन केशव मन्दिर भी है। वह स्थल जहाँ भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था या ये कहे मामा कंस की कारागर इसी मन्दिर परिसर में है, आप कारागर भी घूम सकते है। यहाँ आपको घूमने में समय लगेगा और अगर आपको अच्छी तरह से दर्शन करने है तो आपको समय देना चाहिए।
राधा कुंड:
राधा कुंड भी मथुरा का एक प्राचीन तथा बहुत ही प्रसिध्द तीर्थ स्थल है। भारत देश में इस राधा कुंड का वैष्णवों के लिए एक प्रमुख स्थान है। यह स्थल मथुरा के प्रमुख स्थलों में से एक है।यह स्थल भगवान श्री कृष्ण तथा माता राधा रानी की प्रेम स्थली भी मानी जाती है। यहाँ आने वाले भक्तों की अपार संख्या होती है।
गोवर्धन पर्वत:
गोवर्धन पर्वत, मथुरा से २२ किलोमीटर दूर वृंदावन के पास स्थित है। इस पर्वत का उल्लेख हिन्दू धर्म के प्राचीन ग्रंथों में मिलता है तथा इसे वैष्णवों के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। कहते है कि एक बार मथुरा में बहुत तेज बारिश हो रही थी, भगवान श्री कृष्ण का गाँव पानी में डूब रहा था। तब भगवान श्री कृष्ण ने अपने गाँव को बचाने के लिए इस पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठा लिया था और अपने गाँव को तेज बारिश से बचाया था। तभी से इस पर्वत को बहुत ही पवित्र मानने लगे। श्री गुरु पूर्णिमा के मौके पर इस पर्वत के चारों ओर ७ कोस लंबी परिक्रमा करते हैं, जो करीब २२ किमी लंबी होती है, जिसे नंगे पैर पैदल चलकर चक्कर लगाकर भक्ति यात्रा करते है। भगवान श्री कृष्ण ने अपने गाँव को बचाने के बाद इस पहाड़ी की पूजा करने को कहा था, तभी से इसे गोवर्धन पर्वत कहने लगे और हिन्दू धर्म में इस पर्वत की पूजा होने लगी। दीपावली के एक दिन के बाद गोवर्धन पूजा के नाम से एक त्यौहार भी मनाया जाता है और उस समय गोवर्धन पूजा ही की जाती है।
मथुरा संग्रहालय :
यह संग्रहालय, मथुरा में सबसे ज्यादा देखा जाने वाला स्थान है।इसे देखने के लिए भी कई भक्त आते है। यह संग्रहालय सन् १८७४ वीं शताब्दी में बना था। इस संग्रहालय में मथुरा से जुड़ी कलाक्रतियाँ और अपनी अनूठी वास्तुकला की झलक दिखाई देती है। इसी के ऊपर भारत सरकार के द्वारा डाक टिकट भी जारी किया गया है।
कुसुम सरोवर:
मथुरा में कुसुम सरोवर का भी महत्वपूर्ण स्थान है। इसे देखने के लिए कई भक्त आते है। कुसुम सरोवर, गोवर्धन पर्वत और श्री राधा कुंड के मध्य में स्थित है। कुसुम सरोवर एक जलाशय है।जिसका निर्माण राजसी बलुआ पत्थर से किया गया है। इस जलाशय में सीढ़ियां लगी हुई है। इन सीढ़ियां से उतरकर भक्त जलाशय में तैराकी और डुबकी लगाते है। इस सरोवर के आस पास कई मन्दिर है, जिन्हें आप घूम सकते है।
रंगजी मंदिर:
इस भव्य मन्दिर का निर्माण सेठ गोविन्द दास और श्री राधा कृष्ण ने कराया था। जो उस समय के प्रसिध्द करोड़पति सेठ लखमी चंद के भाई थे। ये मन्दिर श्री रंगाचार्य के मार्ग दर्शन में तैयार हुआ था। इस मन्दिर का काम १८४५ में शुरू हुआ और १८५१ में पूरा हुआ, लगभग ६ साल में बनकर तैयार हुआ। इस मन्दिर की बनावट श्री रंगम के प्रसिध्द श्री रंगनाथ स्वामी मन्दिर जैसी है। श्री रंग जी मन्दिर को दक्षिण भारतीय की तर्ज पर बनाया गया है। यह मन्दिर दक्षिण और उत्तर भारत की वास्तुकला को प्रदर्शित करता है।
बरसाना :
बरसाना में श्री राधा रानी मन्दिर को लगभग ५००० साल पहले श्री कृष्ण के परपोते राजा वज्रनाभ ने बनवाया था। बाद में इस मन्दिर का पुननिर्माण नारायण भट्ट और राजा वीर सिंह के द्वारा १६७५ ईसवीं में हुआ था। वर्तमान में इस मन्दिर को नारायण भट्ट और राजा टोडरमल के द्वारा हुआ। इस मन्दिर में लाल और सफेद पत्थर का इस्तेमाल हुआ है यह पत्थर श्री राधा रानी और भगवान श्री कृष्ण के प्रेम के प्रतीक है। श्री राधा रानी के पिता का नाम वृषभानु और माता का नाम कीर्ति था।श्री राधा रानी का जन्म जन्माष्टमी के 15 दिन बाद भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हुआ था। इसलिए बरसाना के लोगों के लिए यह जगह और दिन बहुत महत्वपूर्ण है। इस मन्दिर के प्रमुख त्यौहार राधाष्टमी और कृष्ण जन्माष्टमी, श्री राधा और कृष्ण के जन्मदिन है। त्यौहार पर मन्दिर को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है। देवताओं को नए कपड़े और आभूषण पहनाए जाते हैं। आरती के पश्चात 56 प्रकार के व्यंजन अर्पित किये जाते हैं, जिन्हें “छप्पन भोग” कहते है। इन त्यौहारो के अलावा एक और त्यौहार प्रमुख है, वो है बरसाना की लट्ठमार होली। लट्ठमार होली को मनाने के लिए भारत देश के कोने कोने से भक्त आते है। बरसाना में होली का त्योहार,वास्तविक दिन से एक सप्ताह पहले शुरू हो जाता है और रंग पंचमी तक चलता है।
मथुरा के घाट:
मथुरा में प्राचीन काल में कई घाट हुआ करते थे। आज की बात करे, तो मथुरा में लगभग २५ के करीब घाट है। इन सभी घाटों का सम्बन्ध भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा है। मान्यता है कि यहाँ स्नान करने से भक्तों के सारे पाप धुल जाते है और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है। भगवान श्री कृष्ण के भक्त इन घाटों में स्नान करके अपने आप को सौभाग्यशाली समझते है। इन घाटों में प्रमुख घाट विश्राम घाट,चक्रतीर्थ घाट, कृष्ण गंगा घाट, गौ घाट, असकुण्डा घाट, प्रयाग घाट, बंगाली घाट, स्वामी घाट, सूरज घाट और ध्रुव घाट इत्यादि है।
बाबा जयगुरुदेव मन्दिर :
यह मन्दिर मथुरा शहर का एक प्रमुख और जाना माना मन्दिर है। यह मन्दिर आगरा- मथुरा बाईपास रोड पर बना हुआ है।इस मन्दिर को बनवाने में इनके शिष्यों का अहम योगदान रहा है। यह मन्दिर सफ़ेद संगमरमर के पत्थर से बना हुआ है तथा सन् २००१ में बना था। इस मन्दिर को योग साधना मन्दिर भी कहते है।
बिरला मंदिर:
यह मन्दिर भी मथुरा का एक महत्वपूर्ण मन्दिर है। इसका निर्माण सेठ राजा बलदेव दास जी बिरला ने कराया था। जब आप इस मन्दिर के प्रवेश द्वार के अंदर पहुचेगें, तो सामने आपको दो शेर की मूर्ति दिखाई देगी। इन्ही मूर्तियों के सामने मुख्य मन्दिर बना हुआ है। यह मन्दिर अपने आप में भव्य और अति सुंदर बना हुआ है।
विश्राम घाट :
यह घाट श्री द्वारकाधीश मन्दिर के निकट स्थित है और ये मथुरा के प्रमुख घाटों में से एक है। इस घाट के लिये आपको गलियों से होकर जाना पड़ेगा, रास्ते में आपको कई मन्दिर मिलेगें।जिनके आप दर्शन कर सकते है। यह घाट यमुना नदी के तट पर स्थित है और इस घाट के चारों ओर मन्दिर स्थित है। कहते है कि भगवान श्री कृष्ण ने इसी स्थान पर कंस का वध करके विश्राम किया था, इसीलिए इस घाट का नाम विश्राम घाट पड़ा। यहाँ पर आप नौका विहार भी कर सकते है। भक्त इस घाट पर आस्था की पवित्र डुबकी लगाते है।
द्वारकाधीश मन्दिर:
यह मन्दिर मथुरा शहर का बहुत ही महत्वपूर्ण और प्रमुख मन्दिर है। जिसका निर्माण भगवान श्री कृष्ण के एक परम भक्त ने कराया था। यह मन्दिर झूला उत्सव के लिए भी जाना जाता है।इस मन्दिर में भगवान श्री कृष्ण को एक राजा के रूप में सजाया जाता है तथा इस मन्दिर में भगवान श्री कृष्ण को द्वारका का राजा कहा जाता है। यहाँ पर भगवान श्री कृष्ण को बिना मोर पंख और बांसुरी के रूप में पेश किया जाता है। इस मन्दिर को सन् १८१४ में ग्वालियर के खजांची सेठ गोकुल दास पारीख ने बनवाया था। इस मन्दिर में भक्तों की अपार भीड़ देखने को मिलती है। यह मन्दिर विश्राम घाट के निकट ही स्थित है। यह मन्दिर अपनी वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है। इस मन्दिर के परिसर की छत पर भगवान श्री कृष्ण से सम्बन्धित चित्र बनाए गये है। इस मन्दिर की नक्काशी ऐसी है कि आने वाले भक्तों का मन मोह लेती है। इस मन्दिर के मुख्य परिसर के बायीं ओर पुरुषों की तथा दायीं ओर महीलाओं की लाइन लगती है। आप इस मन्दिर की परिक्रमा जरूर करें और यहाँ का प्रसाद जरूर ग्रहण करें। प्रसाद में आपको लड्डू,पूड़ि सब्जी, खीर आदि होता है।
कंस किला:
कंस किला मथुरा शहर का सबसे प्राचीन किला है। यह किला भगवान श्री कृष्ण के मामा को समर्पित है। यह किला मथुरा का एक प्रसिध्द स्थल है। इस किले को जयपुर के राजा मान सिंह १६ वीं शताब्दी में बनवाया था। यह किला यमुना नदी के किनारे स्थित है और हिन्दू तथा मुगल काल की शैली को प्रदर्शित करता है। यह वही स्थान है, जहाँ श्री कृष्ण के मामा कंस का घर था। यहाँ जाने का कोई टिकट नही है, आप जब भी मथुरा आये तो कंस किला जरूर जाये।
श्री गर्तेश्वर महादेव मंदिर:
यह मन्दिर भगवान श्री कृष्ण जन्म स्थान के निकट स्थित है। यह मन्दिर भगवान शिव को समर्पित है। यहाँ मन्दिर यहाँ का सबसे प्राचीन मन्दिर है, पर इस मन्दिर की खासियत यह है कि इस मन्दिर में भगवान और माता पार्वती विराजमान नही है बल्कि यहाँ शक्ति रूप में गायत्री माता विराजमान है।
पोतरा कुण्ड:
यह कुंड भगवान श्री कृष्ण जन्म स्थान के निकट स्थित है, आप ९/१० मिनट में यहाँ पहुँच जाएगें। कहते है कि इस स्थान पर माता देवकी ने भगवान श्री कृष्ण के कपड़े धोये थे। इसीलिए इस कुंड को पवित्र माना गया है। इस कुंड में जल अंदरूनी स्रोतों से आता है, इसीलिए जगह जगह स्रोत बनाए गए है।इसकी गहराई का आज तक पता नही चल सका है। इस कुंड में प्रवेश के लिए दरवाजा है, इसमे बड़ी बड़ी सीढि़यां बनी हुई है। इस कुंड के चारों ओ रबैठने के लिए दरवाजे वाली कोठरियां बनी हुई है। जहाँ आप सुकून से बैठ सकते है।
केशव देव मन्दिर
मथुरा का केशवदेव मन्दिर एक प्राचीन मन्दिर है। यह मन्दिर लगभग ५००० वर्ष पुराना है। कहते है कि इसी स्थान पर माता देवकी के गर्भ से भगवान श्री कृष्ण जन्म हुआ था, बाद में इसी स्थान का नाम केशवदेव मन्दिर पड़ गया।, कालांतर में वहीं केशवदेव मंदिर का निर्माण हुआ था, औरों की तरह यह मन्दिर भी मन को सुकून देता है।
निधिवन:
मथुरा का निधिवन एक ऐसा स्थान है, जहाँ पर आप भगवान श्री कृष्ण और माता राधा रानी की झलक देख सकते है। कहते है कि निधिवन में आधी रात को श्री कृष्ण, माता राधा रानी और गोपीयों के साथ आज भी रासलीला करते है। यहाँ जोड़े में मौजूद तुलसी के पौधे आधी रात को गोपियों का रूप ले लेती है और फिर सुबह पौधों के रूप में आ जाती है। इस वन में रात में प्रवेश वर्जित है। कहते है कि जो इस रास लीला को देख लेता है, उसकी आँख की रोशनी चली जाती है या मानसिक सन्तुलन खो देता है। लेकिन आप सुबह से शाम तक इस अलौकिन परिसर की खूबसूरती का आनंद ले सकते है। यहाँ का कोई शुल्क नही है और आप सुबह ५ बजे से लेकर शाम ८ बजे तक घूम सकते है।
मथुरा के स्थानीय व्यंजन :
मथुरा शहर अपनी मिठाइयों और दूध से बनी चीजों के लिये प्रसिध्द है। मथुरा के पेड़े तो दूर दूर तक प्रसिध्द है। खाने में यहाँ आपको कचौरी, जलेबी, पानीपुरी, समोसा,चाट, आलू टिक्की और लस्सी मिलेगी, जिनका आप स्वाद ले सकते है। इसके अलावा आप यहाँ के भोजनालय में स्थानीय भोजन का भी स्वाद ले सकते है।
मथुरा जाने का समय :
अगर आप मथुरा घूमने जाना चाहते है, तो सबसे सही समय फरवरी से अप्रैल और सितम्बर से दिसम्बर के बीच घूमने जा सकते है। यह सबसे उचित समय है, इस समय ना तो ज्यादा गर्मी होती है और ना ही कड़ाके की ठंड। अगर आप घूमने जाये, तो ऐसे समय जाये जब आप वहाँ घूमने का आनंद ले सकें।
मथुरा में रुकने के स्थान :
मथुरा भारत देश का एक बहुत बड़ा धार्मिक स्थल है, यहाँ देश से ही नही बल्कि विदेशों से भी भक्त भगवान श्री कृष्ण की जन्म स्थली को घूमने आते है। है। यहाँ पर रुकने के लिए रेलवे स्टेशन के आस पास कई होटल है। इसके अलावा आप श्री कृष्ण जन्म स्थान के पास डीग गेट के आसपास रुक सकते है,आप विश्राम घाट या होली गेट के पास भी रुक सकते है | इस शहर में रुकने की कही कोई दिक्कत नहीं है। आपको धर्मशाला भी मिल जाएँगी, जैसे बिरला धर्मशाला और तिलक द्वार अग्रवाल धर्मशाला है जो की मथुरा के ह्रदय स्थल होली गेट पर है | मथुरा में ठहरने के लिए आपको ६०० रुपए से लेकर १५०० रुपए प्रति दिन के बीच आसानी से कमरा मिल सकता है। यहाँ ए सी, नॉन ए सी दोनों तरह के कमरे मिल जाते है। अगर आप पहले से कमरा बुक कर लेगें तो आपके लिए बहुत आसानी होगी क्योंकि यहाँ के त्यौहारों अपार भीड़ होती है। हो सकता है उस समय कमरा मिलने में दिक्कत हो, इसलिये अगर आप पहले से बुक कर लेगे तो आपको आसानी रहेगी। हम चाहते है कि आपको किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत न हो और आपकी यह यात्रा शुभ रहे।
मथुरा जाने के साधन :
मथुरा,भगवान श्री कृष्ण का जन्म स्थान है, और यहाँ साल भर में करोड़ से ऊपर भक्त यहाँ घूमने आते है। अगर आप भी मथुरा घूमने का प्लान बना रहे है, तो आप हर प्रकार के साधन से यहाँ पहुँच सकते है। आप यहाँ हवाई मार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग, तीनों ही साधन से आप मथुरा पहुँच सकते है। यहाँ के लिए हर तरह का साधन उपलब्ध है। आपको किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नही होगी।
हवाई मार्ग द्वारा:
अगर आप हवाई मार्ग के द्वारा मथुरा आना चाहते है, तो यहाँ का निकटस्थ एयरपोर्ट आगरा है। जोकि यहाँ से ६० किलोमीटर के आस पास है। फिर आप एयरपोर्ट से सड़क मार्ग के द्वारा पहुँच सकते है, सड़क मार्ग से आप २/३ घंटे में यहाँ पहुँच जाएगें।
रेल मार्ग द्वारा:
मथुरा रेलवे जंक्शन मध्य और पश्चिम रेलवे का एक प्रमुख केन्द्र है। मथुरा रेलवे जंक्शन भारत के हर एक कोने से आने वाली ट्रेनों से जुड़ा है। आप कहीं से भी आ सकते है। दिल्ली, मुंबई, भोपाल, इंदौर, वाराणसी, कोलकाता, लखनऊ,ग्वालियर, भारत देश के हर एक राज्य के किसी भी शहर से आ सकते है।
सड़क मार्ग द्वारा:
आप सड़क मार्ग के द्वारा भी मथुरा पहुँच सकते है। मथुरा में सड़कों का नेटवर्क जबरदस्त है, अब तो मथुरा से नये नये हाईवे जुड़ गये है। आप अपने निजी वाहन से भी यहाँ घूमने आ सकते है। सड़क मार्ग सबसे अच्छा साधन है। आप आगरा, अलवर, जयपुर, उदयपुर, अजमेर, चंडीगढ़, लखनऊ, अलीगढ़, ग्वालियर, जबलपुर, कानपुर, मेरठ, हरिद्वार जैसे शहरों से आसानी से घूमने आ सकते है। मथुरा में कई राज्यों की परिवहन बसें चलती है, जिनसे आप आसानी से पहुँच सकते है।
आपको अपने लेख के द्वारा मथुरा एक धार्मिक स्थल, एक नये धार्मिक स्थल को शेयर कर रहा हूँ। आशा करता हूँ कि आपको ये लेख पसंद आएगा। मेरा ये लेख आपकी यात्रा को आसान और सुगम बनाने में आपकी बहुत मदद करेगा। आप अपने सपरिवार के साथ मथुरा एक धार्मिक स्थल के दर्शन करके भगवान श्री कृष्ण जी का आशिर्वाद प्राप्त कर सकते है। अगर आप कोई और जानकारी चाहते है, तो कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूछ सकते है।