भारत देश के महाराष्ट्र राज्य के छत्रपति संभाजी नगर के पास वेरुल गांव में स्थित है और भगवान शिव के १२ ज्योतिर्लिंगों में से १२वां ज्योतिर्लिंग है। इस बारहवें ज्योतिर्लिंग को घुश्मेश्वर, घुसृणेश्वर या घृष्णेश्वर भी कहा जाता है। इस ज्योतिर्लिंग के निकट ही विश्व प्रसिद्ध एलोरा की गुफायें भी स्थित है। यह एक ऐसा ज्योतिर्लिंग है, जिसके दर्शन करने से निःसंतान को संतान की प्राप्ति होती है। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए बहुत दूर दूर से भक्त आते है। त्यौहारों पर यहाँ जबरदस्त भीड़ होती है। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से आपके समस्त रोग नष्ट हो जाते है। ऐसी महिमा है, श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की।
श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास :
इस मन्दिर को १३ वीं शताब्दी से पहले बनाया गया है। १३/१४ वीं शताब्दी के बीच में मुगलों ने इस मन्दिर को बहुत नुकसान पहुँचाया, फिर १६ वीं शताब्दी में छत्रपति शिवाजी महाराज के दादा मालोजी भोसले ने इस मंदिर का पुन: निर्माण कराया। १६/१७ वीं शताब्दी में फिर मुगलों ने इस मन्दिर को नष्ट करने की कोशिश की, पर 18 वीं शताब्दी में इंदौर की महारानी अहिल्या बाई होलकर में श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का पुन: निर्माण करवाया।
मंदिर की वास्तु कला :
श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर 44,400 वर्ग फुट के क्षेत्र में बना हुआ है। इस मन्दिर को दक्षिण भारतीय शैली और लाल पत्थरों से बना हुआ है। इस मन्दिर के तीन द्वार है, एक महाद्वार और दो पक्षद्वार। सभी मंडप २४ पत्थर के खंभों पर बने है और उन पर खूबसूरत नक्काशी की गई है। इस मन्दिर के अंदर लाल पत्थर की दीवारों पर भगवान विष्णु के दशावतार के चित्र और कई देवी देवताओं के चित्र अंकित किये गये है।
श्री घुश्मेश्वर / घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा :
पुराणों के अनुसार, प्राचीन काल में सुधर्मा नाम के ब्राह्मण अपनी पत्नी सुदेहा के साथ रहते थे, पर विवाह के कई वर्ष बीत जाने पर भी उनके कोई सन्तान नही हुई। तब सुदेहा ने अपनी सन्तान प्राप्ति के लिए अपनी छोटी बहन घुश्मा का विवाह सुधर्मा के साथ करवा दिया। लेकिन घुश्मा भगवान शिव की परम भक्त थी और प्रतिदिन अपने हाथों से पार्थिव शिवलिंग बनाकर, उसकी पूजा अर्चना करके पास के सरोवर में विसर्जित कर देती थी। फिर घुश्मा ने कुछ समय के बाद एक अति सुंदर बालक को जन्म दिया। धीरेधीरे सुधर्मा, घुश्मा से ज्यादा प्रेम करने लगे, इससे सुदेहा के मन में जलन होने लगी और उसने घुश्मा के बालक को मारकर उसी सरोवर में फ़ेंक दिया, जिसमे वह पार्थिव शिवलिंग विसर्जित करती थी। जब घुश्मा को इस बात का पता चला, तो वो बिल्कुल भी दुःखी नही हुई और रोज की तरह उस दिन भी पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर, उसकी पूजा अर्चना करके, सरोवर में विसर्जित करने गयी। जब वह विसर्जन कर रही थी, तभी उसका पुत्र जीवित होकर बाहर निकल आया और घुश्मा ने सुदेहा को माफ कर दिया। इसी दयालुता और भक्ति से खुश होकर शिवजी उसके सामने प्रकट हो गये और उससे वर मांगने को कहा। तब घुश्मा ने कहा कि आप हमेशा के लिए इसी स्थान पर निवास करें, तब भगवान शिव हमेशा के लिए यही विराजमान हो गये और श्री घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गये।
मन्दिर का ड्रेस कोड :
इस मन्दिर की यह खासियत है कि इस मन्दिर में प्रवेश करने से पहले पुरुष भक्तों को शर्ट और बनियान तथा बेल्ट उतरना पड़ता है, तभी प्रवेश मिलता है।
श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन :
जब आप मन्दिर के गेट पर पहुँचते है, तो यहाँ बने काउंटर पर आप अपना बैग और मोबाइल जमा कर दीजिये। रास्ते में आपको फूल मालाओं की छोटी छोटी दुकानें मिलेगी, जिनसे आप फूल, माला और बेलपत्र व प्रसाद ले सकते है। फिर आप लाइन में लग जाये, कुछ ही देर में आप मुख्य मन्दिर में पहुँच जाएगें। जैसे ही आप मन्दिर के अंदर प्रवेश करेगें, वैसे ही सबसे पहले आपको नंदी महाराज की विशाल मूर्ति के दर्शन होंगे। फिर आप श्री घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा अर्चना कीजिये। ऐसे समय पर आपके मन में सिर्फ भगवान शिव का ध्यान होना चाहिये, क्योंकि यहाँ भक्त के मन में जो मनोकामना होती है। वो जरूर पूरी होती है। ऐसी महिमा है, श्री घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग मन्दिर की।
दर्शन का समय :
यह मन्दिर सुबह ४ बजे खुलता है और रात ११ बजे बंद हो जाता है, सावन के महीने में यह मन्दिर सुबह ३ बजे खुलता है और रात ११ बजे बंद होता है। इस मन्दिर में सुबह सबसे पहले मंगल आरती ४ बजे होती है, इसके बाद जलहरी सघन सुबह 8 बजे, महाप्रसाद दोपहर 12 बजे, जलहरी सघन शाम 4 बजे, शाम की आरती ७ बजे और रात की आरती रात १० बजे होती है।
आरती का समय :
इस मन्दिर में गर्मियों में सुबह ४ बजे, शाम को ७ बजे और रात को १० बजे आरती होती है। सर्दियों में सुबह ५ बजे, शाम को ६ बजे और रात को ९ बजे आरती होती है।
दर्शनीये स्थल :
अगर आप श्री घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग मन्दिर के दर्शन करने का प्लान कर रहे है, तो आप इस मन्दिर के अलावा और भी ऐसे स्थल है। जिन्हें आप घूम सकते है। इस ज्योतिर्लिंग के आस पास आपको विश्व प्रसिध्द स्थल देखने को मिलेगें, जो हमारी संस्कृति की पहचान है। जैसे, एलोरा, अजंता की गुफायें, शिवालय तीर्थ, दौलताबाद किला, पीतलखोरा गुफाएं और गौताला वन्यजीव शताब्दी, बनीबेगम गार्डन, म्हैसमल हिल स्टेशन, भद्र मारुति मंदिर खुलताबाद, बीबी का मकबरा, सिद्धार्थ गार्डन, सलीम अली लेक, बौद्ध गुफाएँ, जैन गुफाएं, पंचाकी, जामा मस्जिद, सोनेरी महल आदि प्रसिद्ध स्थल है।
स्थानीय भोजन :
श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के दर्शन करने के साथ साथ आप छत्रपति संभाजी नगर के स्थानीय व्यंजन का भी लुफ्त ले सकते है। छत्रपति संभाजी नगर न केवल ऐतिहासिक स्मारकों के लिए बल्कि स्वादिस्ट व्यंजनों के लिए भी बहुत अधिक प्रसिद्ध है।छत्रपति संभाजी नगर में आप पुरी, दक्षिण भारतीय भोजन, चाय/टी, मिसल पाव, रगडा समोसा, जूस, बाजरी सैंडविच, बड़ापाव, पुलाव और बिरयानी आदि का लुफ्त ले सकते है।
जाने का समय :
वैसे तो आप श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए साल में कभी भी जा सकते है, भगवान शिव के दर्शन करने के लिए हर दिन अच्छा है। फिर भी आप बारिश के मौसम से बचकर रहें, क्योंकि बारिश के मौसम में आंधी, तुफान और बारिश की वजह से परेशानी हो सकती है। गर्मी के मौसम में तेज धूप रहती है। सबसे सही समय अक्तूबर से मार्च के बीच का है। इस समय मौसम सुखद और सुहाना रहता है।
रुकने के स्थान :
अगर आप श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के आस पास रुकने का प्लान कर रहे है, तो आपको बता दें कि यहाँ घृष्णेश्वर मंदिर ट्रस्ट के भक्त निवास, मौनगिरि आश्रम ,जैन धर्मशाला इत्यादि उपलब्ध है। यहाँ कई प्राइवेट होटल बने हुए है। यहाँ आपको ए सी और नॉन ऐ सी दोनों तरह के विकल्प मिल जाएगें। यहाँ आपको किफायती दाम में कमरे मिल जाएगें।
जाने का साधन :
अगर आप श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का प्लान कर रहे है, तो आप हर प्रकार के साधनों द्वारा मन्दिर पहुँच सकते है। आप चाहे तो हवाई मार्ग के द्वारा या फिर रेल मार्ग द्वारा या फिर सड़क मार्ग द्वारा मन्दिर के दर्शन कर सकते है। आपके लिए हर साधन उपलब्ध है, जो आपकी यात्रा को आसान बनायेगा।
हवाई मार्ग द्वारा :
श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के सबसे नजदीक एयरपोर्ट छत्रपति संभाजी महाराज एयरपोर्ट है। इस एयरपोर्ट से श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी ३० किलोमीटर के करीब है। यह एयरपोर्ट हैदराबाद, दिल्ली, उदयपुर, मुंबई, जयपुर, पुणे, नागपुर और अन्य प्रमुख शहरों से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। यहाँ से आप टैक्सी, बस और ऑटो के द्वारा मन्दिर पहुँच सकते है।
रेल मार्ग द्वारा :
श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के सबसे निकट रेलवे स्टेशन छत्रपति संभाजी महाराज रेलवे स्टेशन है। यह रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों से जुड़ा हुआ है। रेलवे स्टेशन से आप बस, टैक्सी और ऑटो के द्वारा मन्दिर पहुँच सकते है।
सड़क मार्ग द्वारा :
श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग देश के प्रमुख शहरों से बहुत ही अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहाँ के लिये परिवहन विभाग और प्राइवेट व लग्जरी बसें चलती रहती है। ए सी और नॉन ए सी, दोनों तरह के विकल्प उपलब्ध है। छत्रपति संभाजी महाराज बस स्टैंड से नियमित रूप से बसें चलती रहती है। आप रास्ते में सह्याद्री पर्वत का लुफ्त लेते हुए मन्दिर पहुँच सकते है।
आपको अपने लेख के द्वारा १२वां ज्योतिर्लिंग शेयर कर रहा हूँ। आशा करता हूँ कि आपको ये लेख पसंद आएगा। मेरा ये लेख आपकी यात्रा को आसान और सुगम बनाने में आपकी बहुत मदद करेगा। आप अपने सपरिवार के साथ यहाँ आकर श्री घृष्णेश्वर ज्योुतिर्लिंग मन्दिर के दर्शन करके आप आशिर्वाद प्राप्त कर सकते है। अगर आप कोई और जानकारी चाहते है, तो कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूछ सकते है।