भारत देश के महाराष्ट्र राज्य के पुणे शहर से लगभग १२० किलोमीटर के आस पास सहाद्रि नामक पर्वत की हरी भरी वादियों से घिरा हुआ श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, १२ ज्योतिर्लिंग में से ६वां ज्योतिर्लिंग है। यह ज्यो तिर्लिंग हिन्दुओं के लिए बहुत ही पवित्र और प्रमुख है। यह ज्योवतिर्लिंग भीमा नदी के उद्गम स्थान पर शिराधन गांव में स्थित है। श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की शिवलिंग मोटी होने के कारण इन्हे मोटेश्वर महादेव भी कहते है। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए लाखों भक्तों आते है और दर्शन करके पुण्य प्राप्त करते है। श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते है। मराठा राज्य के महाराज छत्रपति शिवाजी यहाँ पूजा अर्चना करने के लिए आते थे और उन्हीं के द्वारा इस ज्योतिर्लिंग का निर्माण हुआ। यहां के जंगल को वन्य जीवों के लिए संरक्षित किया गया है। जहाँ आप कई तरह के वन्य जीव जंतु, शेकरु नाम का एक दुर्लभ जानवर, सुंदर पक्षी एवं वनस्पतियाँ देख सकते हैं।
श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर की संरचना :
यह मन्दिर नागर शैली और नवीन शैली को प्रदर्शित करता है। इस मंदिर से प्राचीन विश्वकर्मा वास्तुशिल्पियों की कौशल श्रेष्ठता का पता चलता है। इस सुंदर मंदिर का शिखर नाना फड़नवीस द्वारा 18वीं सदी में बनाया गया था। कहा जाता है कि महान मराठा शासक शिवाजी ने इस मंदिर की पूजा के लिए कई तरह की सुविधाएं प्रदान की।
श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा :
कहते है कि रावण के भाई कुंभकर्ण की पत्नी कर्कटी लंका में ना रहकर एक पर्वत पर रहती थी। कुम्भकर्ण और उसकी पत्नी कर्कटी का भीम नाम का पुत्र था। जब भगवान श्री राम ने कुंभकर्ण का वध किया, तब भीम बालक था। कर्कटी ने कुम्भकर्ण के वध का बदला लेने के लिए भीम को बलशाली बनाने का प्रण लिया। जब भीम बड़ा हुआ, तब कर्कटी ने कुम्भकर्ण की म्रत्यू के बारे में उसे बताया। तब भीम क्रोधित हुआ और अपने पिता का बदला लेने के लिए जंगल में जाकर ब्रम्हा जी की घोर तपस्या करने लगा। तब ब्रम्हा जी उसकी घोर तपस्या से प्रसन्न होकर उसे बलशाली होने का वर दे दिया। वर प्राप्त कर भीम बहुत बलशाली हो गया और उसने देवताओं को हराकर देवलोक पर अधिकार कर लिया। बलशाली भीम के कारण सभी लोग परेशान हो रहे थे, देवता, मानव, जीव जंतु और ऋषि मुनि सब त्रस्त थे। वेद, पुराण और शास्त्र विलुप्त होने लगे। उसी समय कामरूप देश के राजा सुदक्षिण थे, जो शिव के परम भक्त थे। बलशाली भीम ने कामरूप देश पर आक्रमण करके राजा सुदक्षिण को बंदी बनाकर कारागर में डाल दिया। सभी देवता और ऋषि मुनि भगवान शिव के पास पहुँचे और विनती करने लगे और अपनी व्यथा सुनाने लगे। उधर राजा सुदक्षिण कारागर में ही भगवान शिव की शिवलिंग की स्थापना करके भक्ति भाव से पूजा अर्चना करने लगे, उन्हें देखकर कारागर में बंद अन्य लोग भी भगवान शिव की पूजा अर्चना करने लगे। जब यह बात बलशाली भीम को पता चली, तब वह राजा सुदक्षिण को मारने के लिए कारागर पहुँचा। जब वो वहाँ पहुँचा, तब राजा सुदक्षिण भगवान शिव की पूजा अर्चना में लीन थे। जैसे ही उसने अपने तलवार पार्थिव शिवलिंग पर मारी,तलवार शिवलिंग को क्षु भी नही पायी और उस शिवलिंग से भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होनें अपनी हुँकार से बलशाली भीम को जलाकर भस्म कर दिया। इस तरह बलशाली भीम का अंत हो गया, सभी देवता गण और ऋषि मुनियों ने भगवान शिव से निवेदन किया कि आप भक्तों पर कल्याण करने के लिए हमेशा के लिए इसी पार्थिव शिवलिंग में निवास करें। भगवान शिव, देवता गण और ऋषि मुनियों का निवेदन स्वीकार कर उसी स्थान पर हमेशा के लिए शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गये। आगे चलकर यही शिवलिंग श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिध्द हुआ।
मन्दिर खुलने व आरती का समय :
यह मन्दिर सुबह ४ बजे खुलता है और ४:३० बजे मंगला आरती होती है। मूल शिवलिंग का दर्शन ५ बजे से ५:३० बजे तक और सामान्य दर्शन सुबह 5:30 बजे से दोपहर 2:30 बजे तक कर सकते है। मध्यान्ह आरती दोपहर 3:00 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक और संध्या आरती शाम 7:30 से 8:00 बजे तक होती है। श्रृंगार दर्शन दोपहर 3:30 से रात 9:30 तक होता है और रात १० बजे मन्दिर बंद हो जाता है। श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मदिर में सोमवार के प्रदोषम, अमावस्या, ग्रहण, महाशिवरात्रि के दौरान दर्शन नहीं कराये जाते है। कार्तिक और श्रवण महीने के दौरान मुकुट और श्रृंगार दर्शन नहीं कराये जाते है।
श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग दर्शन:
श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के आप प्रवेश द्वारा से २५० सीढियाँ उतरकर मन्दिर दिखाई पड़ता है। वृद्ध जनों के लिए यहाँ डोली की व्यवस्था होती है, डाली का किराया ५००/६०० के करीब होता है, जो किसी विशेष अवसर पर १०००/१२०० तक पहुँच जाता है। मन्दिर के रास्ते में आपको फूल मलाओं की दुकाने मिलेगी, जहाँ फूल मालाये खरीद सकते है। रास्ते में आपको टीवी स्क्रीन पर श्री भीमेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन होने लगेगें। आगे बढ़ते हुए आप मुख्य गर्भग्रह पहुँच जाएगें। श्री भीमेश्वर ज्योतिर्लिंग की शिवलिंग को दिनभर चाँदी के कवच से दक् दिया जाता है, सुबह ५/५:३० बजे यह कवच हटाया जाता है। तभी आपको मूल शिवलिंग के दर्शन हो पाते है।
श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर के घंटे की विशेषता :
श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मन्दिर के सामने एक विशाल और अद्भुत घंटा लगा है। यह घण्टा हिन्दू पराक्रम को प्रदर्शित करता है। मराठा इतिहास के अनुसार यह अद्भुत सा दिखने वाला घण्टा पुर्तगालियों के चर्च का है। बालाजी विश्वनाथ के बेटे और बाजीराव के छोटे भाई वीर चिमाजी बसाई के किले में पुर्तगालियों को हराकर वहाँ के चर्च से यह घण्टा लेकर आये थे। इस घण्टे पर जीसस के साथ मदर मैरी की मूर्ति और १९२७ लिखा हुआ है। इस घंटे को महाराष्ट्र में पेशवाओं के काल के प्रसिद्ध राजनेता नाना फडणवीस ने लगवाया था और सभामंडप और शिखर बनवाकर मंदिर को आधुनिक स्वरूप प्रदान किया था।
दर्शनीय स्थल :
अगर आप श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने जा रहे है, तो आप वहाँ और भी जगह घूम सकते है। इस ज्योतिर्लिंग ke आस पास कई ऐसे मन्दिर है, जिनके आप दर्शन कर सकते है। जैसे,
गुप्त भीमाशंकर मंदिर :
यह मन्दिर, श्री भीमेश्वर ज्योतिर्लिंग से ४ किलोमीटर दूर स्थित है, इसी स्थान पर मूल शिवलिंग की प्राप्ति हुई थी। जब पहाड़ों से पानी झरने के रूप में इस शिवलिंग पर गिरता है, तब यह दृश्य मन को भावुक करने वाला होता है। बारिश में यह शिवलिंग दिखाई नही देता है, गर्मी में जब पानी सूख जाता है, तब यह शिवलिंग दिखाई देता है।
भीमाशंकर वन्यजीव अभ्यारण्य :
श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के साथ साथ आप भीमाशंकर वन्यजीव अभ्यारण्य का भी लुफ्त उठा सकते है। यह स्थल हरी भरी सह्यादी पर्वतश्रेणियों में 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इस अभ्यारण्य में आपको हरे भरे पेड़, झरने और यहाँ की खूबसूरती आपके मन को प्रसन्नचित्त कर देती है। इस अभ्यारण्य में कई तरह के जीव जंतु दिखाई देते है। जैसे शेकरू और बड़ी भारतीय गिलहरी, उड़ने वाली गिलहरी, चीता, लकडबग्घा, जंगली सूअर, हिरन इत्यादि। ।
हनुमान झील भीमाशंकर :
यह झील श्री भीमेश्वर ज्योतिर्लिंग के नजदीक ही स्थित है, यह भी घूमने के लिए सुंदर जगह है। यहाँ कई प्रकार वन्य जीव देख सकते है, पर रास्ता बहुत ही दुर्गम भरा है।
साक्षी विनायक मंदिर भीमाशंकर :
यह मन्दिर श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के निकट ही स्थित है और इस मन्दिर में भगवान श्री गणेश की मूर्ति स्थापित है। जो देखने में भव्य और सुंदर लगती है।
नागफणी स्थल :
यह स्थल श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के निकट ही स्थित है। यह स्थल चारों तरफ से हरियाली से घिरा हुआ है। चारों तरफ मनमोहक दृश्य दिखाई देते है। यहाँ के रास्ते में आपको कई तरह के वन्य जीवों से सामना होगा। यह जगह साहसिक गतिविधियाँ करने के लिए बहुत ही खास हैं।
जाने का समय :
वैसे तो आप साल में कभी भी श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए जा सकते है। लेकिन बारिश के मौसम से बचकर रहे, क्योंकि बारिश के मौसम में बारिश, आंधी और तुफान के कारण आपको परेशानी हो सकती है। सबसे सही समय अक्तूबर से मार्च है, इस समय सह्याद्री पर्वत का के आस पास का वातावरण सुहाना और सुखद होता है। ना ज्यादा गर्मी और ना ज्यादा सर्दी।
रुकने के स्थान :
अगर आप मन्दिर के दर्शन करने के लिए रुकना चाहते है, तो इस मन्दिर के आस पास कई होटल और रिसोर्ट बने हुए है। जहाँ आप रुक सकते है। यहाँ आपको किफायती दाम पर कमरे मिल जाएगें। आप पुणे भी रुक सकते है और सुबह आकर पूरे दिन दर्शन करिये व शाम को वापस पुणे जा सकते है। अभी यहाँ पर भक्त निवास की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
जाने के साधन :
अगर आप श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का प्लान कर रहे है, तो आप किसी भी साधन के द्वारा मन्दिर के दर्शन कर सकते है। आजकल हर तरह का साधन उपलब्ध है। आप चाहे हवाई मार्ग द्वारा या फिर रेल मार्ग द्वारा या फिर सड़क मार्ग द्वारा श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर सकते है।
हवाई मार्ग द्वारा :
श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के सबसे निकट एयरपोर्ट पुणे एयरपोर्ट है। एयरपोर्ट से ज्योतिर्लिंग की दूरी लगभग १२० किलोमीटर के आस पास है। यह एयरपोर्ट देश के प्रमुख एयरपोर्ट से जुड़ा हुआ है। एयरपोर्ट से आप बस, टैक्सी और कैब के द्वारा मन्दिर पहुँच सकते है।
रेल मार्ग द्वारा :
श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के सबसे नजदीक दो रेलवे स्टेशन है। पहला पुणे रेलवे जंक्शन और दूसरा शिवाजी नगर रेलवे स्टेशन है। यह रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप शिवाजी नगर रेलवे स्टेशन पर उतर सकते है, क्योंकि पुणे रेलवे जंक्शन से शिवाजी नगर बस स्टैंड ३/४ किलोमीटर के करीब है। शिवाजी नगर बस स्टैंड से आप बस, टैक्सी और कैब के द्वारा मन्दिर पहुँच सकते है।
सड़क मार्ग द्वारा :
अगर आप सड़क मार्ग के द्वारा ज्योतिर्लिंग के दर्शन करना चाहते है, तो आसानी से कर सकते है। आपको बता दें कि शिवाजीनगर पुणे बस स्टैंड से नियमित रूप से परिवहन विभाग की बसें चलती रहती है। जिनसे आप मन्दिर पहुँच सकते है। इस मन्दिर के लिए प्राइवेट और डीलक्स बसें भी चलती रहती है। ए सी और नॉन ए सी दोनों तरह के विकल्प उपलब्ध है।
आपको अपने लेख के द्वारा ६ वां ज्योतिर्लिंग शेयर कर रहा हूँ। आशा करता हूँ कि आपको ये लेख पसंद आएगा। मेरा ये लेख आपकी यात्रा को आसान और सुगम बनाने में आपकी बहुत मदद करेगा। आप अपने सपरिवार के साथ यहाँ आकर श्री भीमाशंकर ज्योमतिर्लिंग मन्दिर के दर्शन करके आशिर्वाद प्राप्त कर सकते है। अगर आप कोई और जानकारी चाहते है तो कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूछ सकते है।