श्री वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग,  देवघर:

भारत देश के झारखण्ड राज्य के देवघर में स्थित है और यह १२ ज्योतिर्लिंगों में ५ वां ज्‍योतिर्लिंग है। भगवान शिव का ज्‍योतिर्लिंग होने के कारण देवघर को देवताओं का घर भी कहते है। श्री वैद्यनाथ धाम में माँ सती का हृदय भी गिरा था, इसलिये यह एक शक्तिपीठ भी है। कहते है कि यहाँ जो भी आता है और अपनी मनोकामना कहता है, उसे भगवान शिव जरूर पूरी करते है। इसीलिए इस ज्योतिर्लिंग को कामना ज्योतिर्लिंग भी कहते है। 

श्री वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग की पौराणिक कथा :

पुराणों के अनुसार एक बार रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या करने लगा, कठोर तपस्या करते हुए उसने अपने ९ सिर काटकर भगवान शिव को चढ़ा दिये, पर जैसे ही उसने १० वां सिर काटने को हुआ। वैसे ही भगवान शिव प्रकट हो गये और उससे वर माँगने को कहा। तब उसने भगवान शिव को लंका में वास करने का वर माँग लिया, फिर भगवान शिव ने अपना आत्म लिङ्ग उसे दे दिया और उससे कहा कि यह आत्म लिङ्ग जैसे ही धरती को स्पर्श करेगा, ये वहीं स्थापित हो जाएगा। लेकिन माता पार्वती खुश नही थी, क्योंकि उन्हें लगा कि अब ये रावण अजेय हो जाएगा। तब माता पार्वती ने वरुण देव को उसके कमंडल में प्रवेश कराया, जिससे रावण को बीच रास्ते लघुशंका आने लगी। तब रावण ने अपना पुष्पक विमान एक सुनसान जगह पर उतारा, वहाँ भगवान विष्णु एक चरवाहे का रूप रखकर पहुँच गये। जब रावण को कुछ समझ नही आया, तब उसने उस आत्म लिङ्ग को उस चरवाहे को दे दिया और लघुशंका करने चला गया। इसी समय चरवाहे आत्म लिङ्ग को धरती पर रख दिया, जिससे यह वहीं स्थापित हो गया। जब रावण वापस आया, तब उसने शिवलिंग को धरती पर रखा हुआ पाया। रावण ने शिवलिंग को उठाने का बहुत प्रयास किया, पर वो उठा नही सका। तब क्रोध में आकर उसने शिवलिंग को अंगूठे से दबा दिया, जिसकी अनुभूति आज भी होती है और फिर रावण लंका वापस चला गया। तब इस शिवलिंग की सभी देवताओं ने पूजा अर्चना की। 

  मन्दिर खुलने का समय :

यह मन्दिर सुबह ४ बजे खुलता है और दोपहर २ बजे बंद होता है। इसके बाद यह शाम को ६ बजे खुलता है और रात ८ बजे बंद होता है। 

श्री वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग में महाशिवरात्रि व पंचशूल की पूजा :

 भगवान शिव के सभी मंदिरों में आपने त्रिशूल लगा देखा होगा, पर श्री वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग के परिसर में बने भगवान शिव, माता पार्वती, श्री लक्ष्मी नारायण व अन्य मंदिरों के ऊपर त्रिशूल की जगह पंचशूल लगे है। ये पंचशूल, महाशिवरात्रि के दो दिन पहले उतार लिये जाते है, इस दौरान पंचशूल को स्पर्श करने के लिए भक्तों की भीड़ दौड़ पड़ती है। इन पंचशूल की विशेष पूजा की जाती है, पूजा के बाद इन्हे उसी स्थान पर स्थापित कर दिया जाता है। अब भगवान शिव और माता पार्वती के गठबंधन को हटा देते है और महाशिवरात्रि को नया गठबंधन करते है। 

श्रावणी मेला :

श्री वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग में सावन में यहाँ बहुत बड़ा मेला लगता है। इस समय मन्दिर में भक्तों की अपार भीड़ होती है। भक्त बिहार की सुलतानगंज की गंगा जी से दो पात्रों में गंगजल लेकर पैदल चलते हुए, १०० किलोमीटर के आस पास की दूरी को तय करते हुए श्री वैद्यनाथ धाम पहुँचते है और एक पात्र का जल श्री वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग पर व दूसरे पात्र का जल श्री बासुकीनाथ महादेव पर चढ़ाते है। 

श्री वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग के दर्शन :

यहाँ श्रावण और शिवरात्रि को भक्तों की अपार भीड़ देखने को मिलती है, उस समय यहाँ पैर रखने की भी जगह नही होती है। श्री वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए आप पश्चिमी गेट से प्रवेश करेगें। प्रवेश द्वार पर एक लोहे का पिंजरा लगा है, जिसमे से भक्त आगे चलते हुए गर्भग्रह में प्रवेश करेगें और साथ लाये हुए जल को ज्‍योतिर्लिंग पर चढ़ाएंगे। आप मन्दिर परिसर में मोबाइल ले जा सकते है, पर गर्भग्रह में फोटो खीचना मना है। श्री वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग के मन्दिर परिसर में कई मन्दिर स्थित है। जैसे,  

माँ पार्वती मंदिर, माँ जगत जननी मंदिर,श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर, गणेश मंदिर, ब्रह्मा मंदिर, संध्या मंदिर, काल भैरव मंदिर, हनुमान मंदिर, माँ सरस्वती मंदिर, सूर्य नारायण मंदिर, माँ मनसा मंदिर, माँ बागला मंदिर, राम मंदिर, माँ गंगा मंदिर, गौरी शंकर मंदिर, माँ तारा मंदिर, माँ काली मंदिर, आनंद भैरव मंदिर, नीलकंठ मंदिर, माँ अन्नपूर्णा मंदिर, नरवदेश्वर मंदिर इत्यादि। 

 दर्शनीये स्थल :

श्री वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग के आस पास कई ऐसे दर्शनीये स्थल है, जिन्हें आप घूम सकते है। जैसे, 

 बासुकीनाथ मंदिर 

 यह मन्दिर श्री वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग से ४० किलोमीटर दूर दुमका जिले के जरमुंडी गॉंव में स्थित है। यह मन्दिर भगवान शिव को समर्पित है। इस स्थान पर भगवान शिव और माता पार्वती के मन्दिर आमने सामने है। जब शाम को मन्दिर के पट खुलते है, तब भक्तों को मन्दिर से दूर कर दिया जाता है। क्योंकि तब भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का समय होता है। 

नौलखा मंदिर :

यह मन्दिर श्री वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग से ३ किलोमीटर के आस पास है और यह मन्दिर श्री राधा कृष्ण का है। इस मन्दिर में १४५ फीट ऊँची मूर्तियाँ स्थापित है। इस मन्दिर को बनने में ९ लाख रुपये लगे थे, इसलिये इसे नौलखा मन्दिर कहते है। इस मन्दिर को बनाने के लिए ९ लाख रुपये कोलकाता की महारानी चारुशिला द्वारा दिये गये थे।

नंदन पर्वत :

यह पर्वत यहाँ का सबसे प्रसिध्द और आकर्षक का केन्द्र है। यहाँ भगवान शिव, माता पार्वती, श्री गणेशजी और श्री कार्तिकेय जी के मंदिर के साथ नंदी महाराज स्थापित है। यह पर्वत श्री वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग से ४ किलोमीटर के आस पास है। कहते है कि एक बार रावण ने श्री शिवधाम में जबरन घुसने की कोशिश की, तब नंदी महाराज ने रावण को रोका। फिर रावण ने क्रोध में नंदी महाराज को इस पर्वत से फ़ेंक दिया, तब से इस पर्वत का नाम नंदन पर्वत पड़ा। इस पर्वत से देखने पर आपको सुर्योदय और सुर्यास्‍त का खूबसूरत और अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। 

तपोवन पर्वत :

यह पर्वत श्री वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग से १३ किलोमीटर के आस पास है और घूमने के लिहाज से सबसे खास जगह है। यहाँ पर भगवान शिव का तपोनाथ महादेव मन्दिर स्थित है और यहाँ एक चट्टान है, जिसमे दरार है। इस दरार में देखने पर आपको श्री हनुमान जी का चित्र दिखाई देगा। इस पर्वत के नीचे एक कुंड है, इस कुंड में सीता माता स्नान करती थी। इसलिये इसे सीता कुंड कहा जाता है। 

त्रिकुट पहाड़, 

यह पर्वत देवघर से १२ किलोमीटर दूर स्थित है और पर्वत की चढ़ाई पर घने जंगलों के बीच श्री त्रिकुटाचल महादेव मंदिर स्थित है। यहाँ ऋषि दयानंद का आश्रम भी है, इसीलिए यह त्रिकुटाचल पर्वत के नाम से जाना जाता है। 

स्थानीय खरीदारी :

इस मन्दिर के आस पास कई तरह की दुकानें मिल जाएगी, जहाँ से आप खरीदारी कर सकते हो। यहाँ आपको तरह तरह की चूड़ियॉं देखने को मिलेगी। आप अपनी यात्रा को यादगार बनाने के लिए हस्तशिल्प से बने सामान ले सकते है। 

जाने का समय :

अगर आप श्री बैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग के दर्शन करने का प्लान कर रहे है, तो आप कभी भी जा सकते है। लेकिन बारिश के मौसम से बचकर रहे, क्योंकि बारिश के मौसम में बारिश,आंधी व कभी कभी तुफान भी आ जाता है। गर्मियों में बहुत तेज गर्मी, लू चलती है, जिससे आपको परेशानी हो सकती है। सबसे अच्छा समय अक्तूबर से मार्च है। इस समय यात्रा करना सुखद रहता है। 

रुकने की व्‍यवस्‍था :

अगर आप श्री वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग में रुकने का प्लान कर रहे है, तो यहाँ आपके लिए होटल, धर्मशाला हर तरह का विकल्प उपलब्ध है। यहाँ कई होटल और धर्मशालाओं की व्यवस्था की गयी है। यहाँ आपको किफायती दाम में कमरे मिल जाएगें। मन्दिर ट्रस्ट ने अपनी भी धर्मशाला बनायी हुई है, जहाँ आप रुक सकते है। 

स्थानीय व्यंजन :

वैसे मन्दिर के आस पास आपको खाने पीने की चीजें मिल जाएगी, पर अगर आप स्थानीय भोजन का स्वाद लेना चाहते है। तो आप पीठा मालपुआ, चिलका रोटी व उत्‍तर तथा दक्षिण भारत के सभी प्रकार के व्यंजन का आप लुफ्त ले सकते है। यहाँ एक और चीज बहुत प्रसिध्द है, वो है देवघर के पेड़े। जब भी देवघर जाये, वहाँ के पेड़ो का जरूर लुफ्त ले। 

जाने के साधन :

श्री वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए आप कभी भी जा सकते है। आजकल हर एक साधन उपलब्ध है। आप चाहे हवाई मार्ग मार्ग या फिर रेल मार्ग या फिर सड़क मार्ग द्वारा मन्दिर के दर्शन करने के लिए जा सकते है। 

हवाई मार्ग द्वारा :

श्री वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग के सबसे नजदीक एयरपोर्ट देवघर एयरपोर्ट है, जो श्री वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग से लगभग १५/१६ किलोमीटर के आस पास है। यह एयरपोर्ट देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। यहाँ से आप टैक्सी, बस और कैब के द्वारा मन्दिर पहुँच सकते है। 

रेल मार्ग द्वारा :

इस ज्‍योतिर्लिंग के निकट बैद्यनाथ रेलवे स्‍टेशन, जसीडीह रेलवे स्‍टेशन और देवघर रेलवे स्‍टेशन है। जो देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों से जुड़ें हुए है। यहाँ से आप टैक्सी, बस और कैब के द्वारा मन्दिर पहुँच सकते है। 

सड़क मार्ग द्वारा :

अगर आप सड़क मार्ग द्वारा श्री वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग के दर्शन करने का प्लान कर रहे है, तो आपको बता दें कि यह ज्‍योतिर्लिंग देश के प्रमुख शहरों, राज्यों और राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़ा हुआ है। इस ज्‍योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए परिवहन विभाग और प्राइवेट बसें दोनों तरह की चलती है। यहाँ के लिए ए सी और नॉन एसी, डीलक्स हर तरह के विकल्प उपलब्ध है। इस मन्दिर के सबसे निकट बस स्‍टैण्‍ड देवघर बस स्‍टैण्‍ड है। यहाँ से परिवहन विभाग की और प्राइवेट बसें थोड़े थोड़े समय के अंतराल से चलती रहती है। बस स्टैंड से आप टैक्सी और ऑटो के द्वारा मन्दिर पहुँच सकते है। आप रास्तों का लुफ्त उठाते हुए अपनी निजी वाहन से भी दर्शन करने के लिए जा सकते है। 

आपको अपने लेख के द्वारा एक नये धार्मिक स्थल को शेयर कर रहा हूँ। आशा करता हूँ कि आपको ये लेख पसंद आएगा। मेरा ये लेख आपकी यात्रा को आसान और सुगम बनाने में आपकी बहुत मदद करेगा। आप अपने सपरिवार के साथ यहाँ आकर श्री वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग मन्दिर के दर्शन करके आशिर्वाद प्राप्त कर सकते है। अगर आपको हमारा लेख अच्छा लगे, तो आप रेस्पॉन्स दीजिये। 

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